Sunday, 23 December 2012

नन्हा - सा अंकुर

नन्हा - सा अंकुर
ले रहा अंगडाई अंतर में
कब कैसे बदल गया
सारा जहां पल भर में,

मन के पावन जल से हो सिंचित
पलकों पर सजी खुशियों से
निखार पायेगा,

आँखों में भरी रौशनी से हो दीप्त
मन में उतर आएगा,

खोलेगा आँखें -
बनकर नन्हा सा फूल,
खुशबू से अपनी -
सारा जहाँ महकाएगा... 

Monday, 10 December 2012

नजदीकियां

याद है पहली बार वो तेरे छूने का एहसास
करीब होकर भी दूर, दूर होकर भी थे पास,

चलते चलते हाथ थाम लिया था
शरमाकर मैंने छुड़ा दिया था,

दूरियां नजदीकियां सहते सहते
न बनता था हाले-दिल भी कहते, 

ज़माने से छुप जब-जब  नज़रें मिलती थीं
साँसों में तरंग, दिल में कलियाँ खिलती थीं,

प्यार- प्यार तो ज़िक्र भर में हो गया तुमसे
प्यार है - तुमने भी कभी नही कहा मुझसे,

आज जुड़ गए एक दूजे से इस कदर
हसीन हो गया है ज़िन्दगी का सफ़र ...