Saturday 1 September 2012

कई बार...

कई बार ऐसा होता है
कुछ मोड़ ज़िन्दगी के
बनावटी से दिखते हैं

पर जब-
गुज़रना पड़ता है
इन्हीं राहों से,
तब एहसास होता है
की वाकई -
उनका भी
कोई स्वरूप है

सही,  सच्चा,
चिरस्थाई नहीं
पर हाँ -
कभी कभी
ज़िन्दगी के
किसी मोड़ पर,
कभी तो
एहसास दिलाते हैं -
अपने अस्तित्व का,
बनावटी से दिखते -
ये मोड़ ज़िन्दगी के...

2 comments:

  1. बनावटी से दिखते -
    ये मोड़ ज़िन्दगी के...





    aapki likhi hui kitab hame chahiye ........

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