Sunday 16 September 2012

चिंगारी

सीने में सुलगी चिंगारी को
कभी किसी ने देखा ?
दिल से उठता धुआँ
कभी किसी ने देखा ?
फिर क्यों आज ? क्यों आज ?
रोकते हो इन फुहारों  को
जब आग लगी थी,
तब क्या किसी ने ढूँढा था चिंगारी को ?
क्यों न देख पाए वो बादल,
जो उमड़े , गरजे , बरसे थे
फिर क्यों आज ? क्यों आज ?
टोकते हो मस्त हवाओं को ...

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