Sunday 9 September 2012

अफसाना

कुछ कहते कहते रुक जाना
कुछ चलते चलते कह जाना
ऐसा है दिल का अफसाना

बरबस यूँ ही रो पड़ना
फिर अनायास मुस्कुराना
ऐसा है दिल का अफसाना

बात को दिल से लगाना
कभी हँसी में उड़ा जाना
ऐसा है दिल का अफसाना

कहकर कुछ न कहना कभी
कभी ख़ामोशी से कह जाना
ऐसा है दिल का अफसाना 

No comments:

Post a Comment