सान्निध्य
Friday, 1 February 2013
मुक्तक
थोड़ी सी मौसिकी, थोड़ी सी
शायरी का अहतराम करते हैं,
मगर पूरा शायर बन जाते हैं
जब आपका ख्याल करते हैं।
अमित गुप्ता
6 comments:
ANULATA RAJ NAIR
4 February 2013 at 06:34
बस....
लिखते जाइए ग़ज़ल...उनके ख्यालों में गुम होकर.
अनु
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Deepa Gupta
26 June 2015 at 07:46
Thanks Anu
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Deepa Gupta
26 June 2015 at 07:46
Thanks Anu
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Deepa Gupta
26 June 2015 at 07:46
Thanks Anu
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रामअवतार बैरवा
2 February 2021 at 23:39
आपकी शायरी के कद्रदान बढ़ते रहेंं
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रामअवतार बैरवा
2 February 2021 at 23:39
आपकी शायरी के कद्रदान बढ़ते रहेंं
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बस....
ReplyDeleteलिखते जाइए ग़ज़ल...उनके ख्यालों में गुम होकर.
अनु
Thanks Anu
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ReplyDeleteआपकी शायरी के कद्रदान बढ़ते रहेंं
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