Friday, 1 February 2013

मुक्तक

थोड़ी सी मौसिकी, थोड़ी सी
शायरी का अहतराम करते हैं,
मगर पूरा शायर बन जाते हैं
जब आपका ख्याल करते हैं।

अमित गुप्ता

6 comments:

  1. बस....
    लिखते जाइए ग़ज़ल...उनके ख्यालों में गुम होकर.

    अनु

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  2. आपकी शायरी के कद्रदान बढ़ते रहेंं

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  3. आपकी शायरी के कद्रदान बढ़ते रहेंं

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