Saturday 28 July 2012

समझ नहीं पाती -1

समझ नहीं पाती
कि धुल जमने दूँ
या झाड़कर
साफ़ सुथरा कर-
सहेजकर रखूँ
शेल्फ पर पड़ी -
पुरानी किताबों को
कुछ दुबकी पड़ी हैं
कोनों में इधर-उधर
छुप गई हों मानो
सफाई के डर से,
कुछ - झांकती - सी
दिखती हैं बाहर
झाड़ - पोंछ की मानो -
करती हों गुहार।

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