Monday, 27 August 2012

रोशनदान से

सभी खिड़कियाँ और दरवाजे
बंद कर -
हम रोक तो लेते हैं -
तेज़ हवा के झोंकों  को
लेकिन - नहीं रोक पाते,
उन तरंगों को-
जो चली आती हैं
किसी खिड़की के
चटखे हुए कोने से,
दरवाजे में छूटी झिरियों से
या  फिर -
रौशनी को छोड़े गए
किसी खुले रोशनदान से ...   

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