राहें जो बनाई हैं मैंने
उनमे दीवार खड़ी हो कोई
सितम ऐसा तो नहीं ढाया मैंने
चाँद छूने की, की है ख्वाहिश
पूरा आसमाँ मिल जाये
ऐसा तो नहीं चाहा मैंने...
बरसों जो संजोये रखा
बस वही खुदा से माँगा है
सारा जहाँ तो नहीं माँगा मैंने
एक फूल की, की है तमन्ना
सारी कलियाँ दामन में भर लूँ
ऐसा तो नहीं चाहा मैंने...
उनमे दीवार खड़ी हो कोई
सितम ऐसा तो नहीं ढाया मैंने
चाँद छूने की, की है ख्वाहिश
पूरा आसमाँ मिल जाये
ऐसा तो नहीं चाहा मैंने...
बरसों जो संजोये रखा
बस वही खुदा से माँगा है
सारा जहाँ तो नहीं माँगा मैंने
एक फूल की, की है तमन्ना
सारी कलियाँ दामन में भर लूँ
ऐसा तो नहीं चाहा मैंने...
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