बनते हैं कुछ हाशिये
कभी मिट जाते हैं
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
ओस पड़ती है कभी
कभी लावा पिघल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
थमा सा है वक़्त कभी
कभी तेज़ चल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
लगता है जैसे कोई
छलावा सा छल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है...
कभी मिट जाते हैं
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
ओस पड़ती है कभी
कभी लावा पिघल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
थमा सा है वक़्त कभी
कभी तेज़ चल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है
लगता है जैसे कोई
छलावा सा छल रहा है
यही सिलसिला
निरंतर चल रहा है...
So Nice.
ReplyDeletehttp://madan-saxena.blogspot.in/
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sunder
ReplyDeletebahut sunder
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