सच है - कि सच
सच ही रहता है
सच के समीकरण
भले ही बदल जाएँ
ये भी सच है
की झूठ -
झूठ ही होता है
उसके आवरण
कितने भी बदल जाएँ
इस सच और झूठ के बीच
हमेशा चलता रहता है द्वंद्व,
निरंतर-
कभी सच विजयी होता है
तो कभी झूठ- सच को
चिढ़ाता-सा प्रतीत होता है
लेकिन फिर भी सच,
सच ही रहता है
और झूठ झूठ ही होता है.
सच ही रहता है
सच के समीकरण
भले ही बदल जाएँ
ये भी सच है
की झूठ -
झूठ ही होता है
उसके आवरण
कितने भी बदल जाएँ
इस सच और झूठ के बीच
हमेशा चलता रहता है द्वंद्व,
निरंतर-
कभी सच विजयी होता है
तो कभी झूठ- सच को
चिढ़ाता-सा प्रतीत होता है
लेकिन फिर भी सच,
सच ही रहता है
और झूठ झूठ ही होता है.
बिँदास रचना
ReplyDeleteशानदार ...........सच्ची बात कही ...
ReplyDeleteTrue and honest...thanks for sharing !!
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