हैं बीच अभी तक दरिया के
हम समझे थे उतर गए
वो जख्म अभी तक बाकी हैं
लगते थे जैसे भर गए
हैं बादल अभी अम्बर में
हम समझे थे गुजर गये
हमराही बन साथ चलते हैं
जो राही थे बिछड़ गये
जुगनू से चमके आँखों में
जो ख्वाब कभी थे बिछड़ गये
हम समझे थे उतर गए
वो जख्म अभी तक बाकी हैं
लगते थे जैसे भर गए
हैं बादल अभी अम्बर में
हम समझे थे गुजर गये
हमराही बन साथ चलते हैं
जो राही थे बिछड़ गये
जुगनू से चमके आँखों में
जो ख्वाब कभी थे बिछड़ गये
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