दीवानों की क्या हस्ती
करते फिरते मौज मस्ती
आसमाँ तक जाने वाले विरले हैं
बीच दरिया पड़े
खेलते रहते लहरों से
पार पाने वाले विरले हैं
मनमौजी मतवाले
सैंकड़ों भ्रम पाले
फिरते खानाबदोश से
रंगीनियों में मदहोश ही होंगे
आशियाँ बनाने वाले विरले हैं
परछाइयों के पीछे
भागते ऊपर नीचे
मद में जैसे चूर से
ठोकर खा बेहोश ही होंगे
पांवों पर चलने वाले विरले ही हैं
करते फिरते मौज मस्ती
आसमाँ तक जाने वाले विरले हैं
बीच दरिया पड़े
खेलते रहते लहरों से
पार पाने वाले विरले हैं
मनमौजी मतवाले
सैंकड़ों भ्रम पाले
फिरते खानाबदोश से
रंगीनियों में मदहोश ही होंगे
आशियाँ बनाने वाले विरले हैं
परछाइयों के पीछे
भागते ऊपर नीचे
मद में जैसे चूर से
ठोकर खा बेहोश ही होंगे
पांवों पर चलने वाले विरले ही हैं
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