सान्निध्य
Thursday, 27 September 2012
...बिन शिशिर
कोहरे की चादर में लिपटा
सोया है शहर सारा
बिन शिशिर-
कैसा ये तुषारापात हुआ
शीत लहर सी आई,
सन्नाटा सा छाया है
नव प्रस्फुटित डालियों पर-
कैसा ये तुषारापात हुआ
बिजली सी चमकी,
बादल से टकराए हैं
अचानक पृथ्वी पर-
जैसे वज्रपात हुआ।
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