दिखती तो नही धुंध कहीं
क्यों ये साये धुंधलाये हैं
पतझड़ का नही ये मौसम
क्यों फूल पत्ते मुरझाये हैं
गूंजा नही घोंसलों में कलरव
जब महकती शीतल हवाएं हैं
नाचे नहीं मयूर जंगल में
जब नभ में बादल छाये हैं
गूंजी है आकाश में सरगम
दूर से ही सुन पाये हैं
सुनी नहीं जो तानें अब तक
लगता है भूल आये हैं
क्यों ये साये धुंधलाये हैं
पतझड़ का नही ये मौसम
क्यों फूल पत्ते मुरझाये हैं
गूंजा नही घोंसलों में कलरव
जब महकती शीतल हवाएं हैं
नाचे नहीं मयूर जंगल में
जब नभ में बादल छाये हैं
गूंजी है आकाश में सरगम
दूर से ही सुन पाये हैं
सुनी नहीं जो तानें अब तक
लगता है भूल आये हैं
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