हँस लें आज
मुस्कुरा लें ज़रा
काँटों में खिलती हैं कलियाँ
फूलों के संग गा लें ज़रा
ग़म नहीं पी जायेगा घोलकर
प्याला लबों से हटा लें ज़रा
गिर पड़ें न लड़खड़ाकर
खुद को हम संभालें ज़रा
होने दो जो खफा हैं हमसे
दिल को आज मन लें ज़रा
आती है चांदनी कभी कभी
झूमकर आज गुनगुना लें ज़रा
मुस्कुरा लें ज़रा
काँटों में खिलती हैं कलियाँ
फूलों के संग गा लें ज़रा
ग़म नहीं पी जायेगा घोलकर
प्याला लबों से हटा लें ज़रा
गिर पड़ें न लड़खड़ाकर
खुद को हम संभालें ज़रा
होने दो जो खफा हैं हमसे
दिल को आज मन लें ज़रा
आती है चांदनी कभी कभी
झूमकर आज गुनगुना लें ज़रा
No comments:
Post a Comment