Tuesday, 11 September 2012

मुस्कुरा लें ज़रा

हँस लें आज
मुस्कुरा लें ज़रा

काँटों में खिलती हैं कलियाँ
फूलों के संग गा लें ज़रा

ग़म नहीं पी जायेगा घोलकर
प्याला लबों से हटा लें ज़रा

गिर पड़ें न लड़खड़ाकर
खुद को हम संभालें ज़रा

होने दो जो खफा हैं हमसे
दिल को आज मन लें ज़रा

आती है चांदनी कभी कभी
झूमकर आज गुनगुना लें ज़रा 

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