एक राह दिखाई है मुझको
काले बादल ने जब भी घेरा है
दी है नई रौशनी तुमने
जब जब हुआ अँधेरा है
थामा है हाथ मेरा जब जब
डर ने किया बसेरा है
दी हैं खुशियाँ उस पल
जब ग़म ने डाला डेरा है
काले बादल ने जब भी घेरा है
दी है नई रौशनी तुमने
जब जब हुआ अँधेरा है
थामा है हाथ मेरा जब जब
डर ने किया बसेरा है
दी हैं खुशियाँ उस पल
जब ग़म ने डाला डेरा है
No comments:
Post a Comment