खींच रही हैं बाँहें
खुली हुई जंजीरे क्यूँ
थामती हैं दामन
गुजरी हुई बहारें क्यूँ
वो पल हैं आँखों मे
हल्के से धुंधलाये से
याद आते हैं वो लम्हे
जो भूल गये भुलाये से
खुली हुई जंजीरे क्यूँ
थामती हैं दामन
गुजरी हुई बहारें क्यूँ
वो पल हैं आँखों मे
हल्के से धुंधलाये से
याद आते हैं वो लम्हे
जो भूल गये भुलाये से
याद आते हैं वो लम्हे
ReplyDeleteजो भूल गये भुलाये से .......................