Saturday, 28 July 2012

समझ नहीं पाती-2

समझ नहीं पाती
सूखकर मुरझाने दूँ
इन लताओं को
जो रौंपी थी कभी
अपने ही हाथों से

या सिंचित कर
तरोताज़ा होने दूँ

सूखी मिट्टी में
पानी के छींटे पड़ते हैं
सौंधी-सी अपनी खुशबू से
अलसाई शाखों में
नवचेतना भरते हैं।

1 comment:

  1. पलकों बिरौनी सी
    ओंठों की टहनी में
    फिर बैठा
    गीत का पखेरू
    खा खा के आगी
    उत्सर्जित करेगा
    दहकते अँगारे !
    चिल्मों का लतधारी
    मादक नशे में अघोरी
    शिवालय की
    पिंडी का
    जयघोष करते
    कसैले धुंयें के
    विषैले फूंक मारे !
    सांसों में
    सांसत की बीछी
    कैसे बचाऊँ
    मन के वहम से
    भावों की
    भावुक तलैया,
    उड़ते नहीं क्यों
    बैठे हैं
    बंद किये आँखें
    ठाठ के कबूतर
    देख कर
    म्यार की बिलैया,
    खेतों
    खलिहानों के
    चौपाली चूहों की
    मुह चुपड़ी सह में
    कुतरती हैं चुहियाँ
    शहादत की सूची
    बमीठों के किनारे !
    पलकों बिरौनी सी
    ओंठों की टहनी में
    फिर बैठा
    गीत का पखेरू
    खा खा के आगी
    उत्सर्जित करेगा
    दहकते अँगारे !
    चिल्मों का लतधारी
    मादक नशे में अघोरी
    शिवालय की
    पिंडी का
    जयघोष करते
    कसैले धुंयें के
    विषैले फूंक मारे !
    तिलक धारी
    अहम् की
    फींची पछारी
    अहिल्या बिचारी
    सच आँचल का
    अंधों को कैसे दिखाये,
    दागदार
    चंदा फरेबी
    अईयासी इन्द्रों का
    इन्द्रजाल
    पत्थर दिलों को
    कैसे पढाये,
    पी पी के
    विष की घिनौची
    उगलती रही वन में
    अमृत की नदियाँ
    जलती रही मौन
    जीती रही आग
    अपनी निष्ठां के सहारे !
    पलकों बिरौनी सी
    ओंठों की टहनी में
    फिर बैठा
    गीत का पखेरू
    खा खा के आगी
    उत्सर्जित करेगा
    दहकते अँगारे !
    चिल्मों का लतधारी
    मादक नशे में अघोरी
    शिवालय की
    पिंडी का
    जयघोष करते
    कसैले धुंयें के
    विषैले फूंक मारे !
    शदियों की
    घिंचमारी
    शोषण की
    धुँधुआती चिताओं में
    कितने ही
    ऋषी मुनी जलते रहे,
    लपटों के
    भीतर की
    आधी अधूरी
    कथाओं-व्यथाओं
    की पीड़ा
    राम बाहर से सुनते रहे,
    अताताई हत्यारे
    इंद्र देव
    बनते रहे
    राज करते रहे
    वनवासी कुटियों से
    सीता हरते रहे
    साधु छलिया नकारे !
    पलकों बिरौनी सी
    ओंठों की टहनी में
    फिर बैठा
    गीत का पखेरू
    खा खा के आगी
    उत्सर्जित करेगा
    दहकते अँगारे !
    चिल्मों का लतधारी
    मादक नशे में अघोरी
    शिवालय की
    पिंडी का
    जयघोष करते
    कसैले धुंयें के
    विषैले फूंक मारे !
    भोलानाथ
    डॉराधा कृष्णन स्कूल के बगल में
    अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर
    जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
    संपर्क – 8989139763

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