शाम ढलते ढलते
शांत लहरें रह जाती हैं साहिल पर
थककर शांत हो गई हों मानो
दिन भर कितने तूफान आये
कोई क्या जाने..
बरसात थमने पर
खुला आसमान नज़र आता है
पल में सब धुल गया मानो
गरज - गरज बादल मंडराए
कोई क्या जाने..
शांत लहरें रह जाती हैं साहिल पर
थककर शांत हो गई हों मानो
दिन भर कितने तूफान आये
कोई क्या जाने..
बरसात थमने पर
खुला आसमान नज़र आता है
पल में सब धुल गया मानो
गरज - गरज बादल मंडराए
कोई क्या जाने..
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