Monday, 9 July 2012

यकीं

यकीं है -
एक दिन तो मौसम बदलेगा
ये मेघ -
फुहार बन बरसेगा,
 
फूटेंगी कोंपलें
वृक्षों की शाखों से
चमकेंगे जुगनू
नन्हीं आँखों में,

पत्थर जो तराशे नहीं गए
चमकेंगे अपनी आभा से
दिल को यकीं है....  

1 comment:


  1. दिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ........हलचल का रविवारीय विशेषांक .....रचनाकार--गिरीश पंकज जी

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