यकीं है -
एक दिन तो मौसम बदलेगा
ये मेघ -
फुहार बन बरसेगा,
फूटेंगी कोंपलें
वृक्षों की शाखों से
चमकेंगे जुगनू
नन्हीं आँखों में,
पत्थर जो तराशे नहीं गए
चमकेंगे अपनी आभा से
दिल को यकीं है....
एक दिन तो मौसम बदलेगा
ये मेघ -
फुहार बन बरसेगा,
फूटेंगी कोंपलें
वृक्षों की शाखों से
चमकेंगे जुगनू
नन्हीं आँखों में,
पत्थर जो तराशे नहीं गए
चमकेंगे अपनी आभा से
दिल को यकीं है....
ReplyDeleteदिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ........हलचल का रविवारीय विशेषांक .....रचनाकार--गिरीश पंकज जी