मैं - तुम्हारा अंतर्मन
आस -पास क्या देखते हो ?
किसे ढूंढते हो ?
तुम्हारी ही अपनी आवाज़ हूँ
तुम्हारा ही प्रतिबिम्ब हूँ...
तुम्हें पुकार रहा हूँ,
जगाना चाहता हूँ
उठो,जागो, चेतो
अपनी आवाज़ बुलंद करो
तुम्हारे ललाट पर
स्वेद - कण नहीं
आँखों में आभा हो
मुखमंडल के तेज की...
आस -पास क्या देखते हो ?
किसे ढूंढते हो ?
तुम्हारी ही अपनी आवाज़ हूँ
तुम्हारा ही प्रतिबिम्ब हूँ...
तुम्हें पुकार रहा हूँ,
जगाना चाहता हूँ
उठो,जागो, चेतो
अपनी आवाज़ बुलंद करो
तुम्हारे ललाट पर
स्वेद - कण नहीं
आँखों में आभा हो
मुखमंडल के तेज की...
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