Friday, 6 July 2012

एक राह

एक राह क्या आई नज़र
मुस्कुराने लगी है ज़िन्दगी.

जो अब तक चुपचाप थी
अब गाने लगी है ज़िन्दगी.

जाने क्या हुआ जो झूमकर
गुनगुनाने लगी है ज़िन्दगी.

कहने को बस इतना है
की रास आने लगी है ज़िन्दगी

जो दूर थी अब तक
पास आने लगी है ज़िन्दगी.

1 comment:

  1. वहा क्या बात है खूब
    आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत अच्छा लगा
    आशा करता हूँ की अप मेरे ब्लॉग पर एक बार जरुर आएंगे
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/

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