Sunday, 15 July 2012

आँखें

आइना खुद बन जाती हैं आँखें
बिन बोले सब कहती हैं आँखें

दूर हो अपना कोई
तो भर आती हैं आँखें,
टूट जाये सपना कोई
नीर बहाती हैं आँखें,

बेबसी में जाने क्या क्या
सह जाती हैं आँखें...

पाकर एक झलक उनकी
चमक उठती हैं आँखें,
उनके रंग में रंग
मचल उठती हैं आँखें,

जुदाई में तो बहती ही हैं, आ जाएँ वो
तो ख़ुशी से छलक उठती हैं आँखें...

लब बोलें  न बोलें
कह जाती हैं आँखें
आइना खुद बन जाती हैं आँखें...















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