एक-एक धड़कन -
एक साज़ लगती है,
हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.
हर सुबह नई एक
नया आग़ाज़ लगती है,
ढलते -ढलते शाम
कुछ नाराज़ लगती है.
हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.
गूंजती -सी हवाओं में
एक आवाज़ लगती है,
हर चीज़ हर बात -
एक राज़ लगती है.
एक-एक धड़कन -
एक साज़ लगती है
एक साज़ लगती है,
हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.
हर सुबह नई एक
नया आग़ाज़ लगती है,
ढलते -ढलते शाम
कुछ नाराज़ लगती है.
हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.
गूंजती -सी हवाओं में
एक आवाज़ लगती है,
हर चीज़ हर बात -
एक राज़ लगती है.
एक-एक धड़कन -
एक साज़ लगती है
No comments:
Post a Comment