Saturday, 7 July 2012

एहसास

एक-एक धड़कन -
एक साज़ लगती है,
हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.

हर सुबह नई एक
नया आग़ाज़ लगती है,
ढलते -ढलते शाम
कुछ नाराज़ लगती है.

हर ख़ामोशी एक
अल्फाज़ लगती है.

गूंजती -सी हवाओं में
एक आवाज़ लगती है,
हर चीज़ हर बात -
एक राज़ लगती है.

एक-एक धड़कन -
एक साज़ लगती है

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