आई घटा उपवन में
हलकी हलकी गुंजार हुई
फिर प्रस्फुटित हुए स्वर
वीणा पर फिर झंकार हुई
आई है फिर एक किरण
रोशनी का संसार लिए
छाया बादल नभ में
रिमझिम बौछार लिए
हलकी हलकी गुंजार हुई
फिर प्रस्फुटित हुए स्वर
वीणा पर फिर झंकार हुई
आई है फिर एक किरण
रोशनी का संसार लिए
छाया बादल नभ में
रिमझिम बौछार लिए
Achhi kavita hai.
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