Saturday, 7 July 2012

सोचती हूँ

सोचती हूँ -
आइना न बन जाएँ आँखें,
तेरी सूरत कभी निगाह से  -
हटाया भी करूँ.

दिल मुझको भूल जाये न -
तेरा ख्याल कभी दिल से
भुलाया भी करूँ.

बेखुदी में होश खो जाए न -
दिल को कभी,
होश में लाया भी करूँ.
आइना न बन जाएँ आँखें....

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