आवाज़ जो गूंजी है
खनक चूड़ी की नहीं
और न -
छनक है पायल की
ये स्वर लहरी तो
मन के तार की है.
मन को -
क्या समझेगा कोई
क्या जानेगा कोई..
मन की बात
तो बस उस पार की है..
खनक चूड़ी की नहीं
और न -
छनक है पायल की
ये स्वर लहरी तो
मन के तार की है.
मन को -
क्या समझेगा कोई
क्या जानेगा कोई..
मन की बात
तो बस उस पार की है..
Bahut sundar, saral rachana, Shubhkamnayein!
ReplyDeleteकविता अति उत्तम है यह दर्शाता है की लेखक को उस सागर की गहरे का आभास है जहाँ से मोती चुने जाते हैं. पर आध्यात्मिक रूप से मन इस पर की है उस पार की आत्मा है या जो भी नाम दें. तभी कहा गया समाधी उस अवस्था का नाम है जब आपका मन पूर्णत शुन्य हो जाये .
ReplyDelete