माँ ज़िन्दगी मैंने तुझसे पाई है
माँ तुझमे सागर सी गहराई है
जब मैं नहीं था दुनिया में
तेरे अन्दर जी रहा था
तेरी छाया में पलते पलते
सवाल दिल में यही रहा था
माँ कैसी होगी
वो छाया कैसी होगी
जब आँखें खोली
दुनिया में आया
डरा-सा, सहमा-सा
तूने दुलारकर थपथपाया
और सीने से मुझे लगाया
जैसा सोचा था मैंने
उससे बढ़कर तुझको पाया
तेरे आँचल की छाँव में
खुद को महफूज़ पाया.
माँ तुझमे सागर सी गहराई है
जब मैं नहीं था दुनिया में
तेरे अन्दर जी रहा था
तेरी छाया में पलते पलते
सवाल दिल में यही रहा था
माँ कैसी होगी
वो छाया कैसी होगी
जब आँखें खोली
दुनिया में आया
डरा-सा, सहमा-सा
तूने दुलारकर थपथपाया
और सीने से मुझे लगाया
जैसा सोचा था मैंने
उससे बढ़कर तुझको पाया
तेरे आँचल की छाँव में
खुद को महफूज़ पाया.
Heart Touching lines Deepa ji.....Very nice...
ReplyDeletethanks lucky ji
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